नई दिल्ली। सुपरस्टार स्ट्राइकर लियोनेल मैसी भले ही विश्व कप विजेता टीम के सदस्य या कप्तान नहीं रहे हों, लेकिन वह संभवत: अपने आखिरी विश्व कप में अपने देश के लिए 32 साल से चले आ रहे खिताबी सूखे का अंत करना चाहेंगे। विश्व कप के इतिहास में अर्जेंटीनी टीम 16 बार यह टूर्नामेंट खेल चुकी है और दो बार इस खिताब को अपनी झोली में डाला है। लेकिन, 1986 के बाद अर्जेंटीनी टीम ट्रॉफी उठाने से वंचित रही है। अर्जेंटीना विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाडिय़ों में से एक मेसी पर जरूर निर्भर है, लेकिन इस बार मैसी का साथ देने मैनचेस्टर सिटी क्लब के सर्जियो अग्यूरो, गोंजालो हिगुएन भी तैयार हैं।
मैसी मैजिक की जरूरत : बचपन में बौनेपन से जूझने वाले वाले मैसी रिकॉर्ड पांच बार फीफा के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर रह चुके हैं और साथ ही रिकॉर्ड पांच बार यूरोपीय गोल्डन शू अवार्ड जीत चुके हैं। मैसी ने बार्सिलोना क्लब के लिए कामयाबियों के नए कीर्तिमान बनाए, लेकिन देश के लिए विश्व कप नहीं जीत पाने की कसक उन्हें कचोटती रही है। अब रूस में होने वाले इस फुटबॉल के महाकुंभ में प्रशंसक उनके मैजिक को देखना चाहेंगे। अपने देश के लिए 2005 में पदार्पण करने वाले मैसी ने 124 मैचों में राष्ट्रीय टीम के लिए सर्वाधिक गोल (64) किए हैं। 10 नंबर की जर्सी में खेलने वाले मैसी की लोकप्रियता दुनिया भर में बढ़ी और लोग उन्हें मैराडोना के समकक्ष या कुछ तो उनसे बेहतर मानने लगे। मैराडोना के पास हालांकि विश्व कप था जो आखिरी बार 1986 में अर्जेंटीना ने मैराडोना के ही दम पर जीता था। मैसी ने 2006, 2010 और 2014 विश्व कप खेला, लेकिन ट्रॉफी हाथ नहीं आई। सबसे ज्यादा दर्दनाक हार चार साल पहले ब्राजील में मिली, जब खिताब से एक जीत की दूरी पर आकर मैसी का सपना जर्मनी ने तोड़ दिया।
इन पर भी जिम्मेदारी : 30 वर्षीय मैसी के कंधों पर शुरुआती गोल करके टीम को जल्दी ही बढ़त दिलाने का दारोमदार रहेगा तो टीम के अन्य स्ट्राइकर 30 वर्षीय गोंजालो हिगुएन, 30 वर्षीय सर्जियो अग्यूरो और 24 वर्षीय पाउलो डायबाला को भी मैसी का साथ देना होगा। मेसी के अलावा इन तीनों खिलाडिय़ों पर भी गोल करने की जिम्मेदारी रहेगी। मैसी के बाद गोंजालो टीम के सबसे अनुभवी स्ट्राइकर हैं और वह 2010 व 2014 का विश्व कप खेलकर पांच गोल कर चुके हैं। हालांकि, अग्यूरो के पास भी दो बार विश्व कप खेलने का अनुभव हैं, लेकिन उन्हें इस टूर्नामेंट में अपने पहले गोल का इंतजार है। पाउलो स्ट्राइकरों में सबसे युवा है और अपने पहले विश्व कप में टीम के लिए उपयोगी योगदान देना चाहेंगे।
विश्व कप में अर्जेंटीना : अर्जेंटीना की टीम ने पांच बार विश्व कप फाइनल खेला है, लेकिन उसे ट्रॉफी सिर्फ दो बार उठाने का मौका मिला। उसने 1978 में डेनियल पासारेला के नेतृत्व में और 1986 में डिएगो माराडोना की अगुआई में विश्व कप जीता था। मेसी की अगुआई में टीम ने 2014 में अपना पांचवां फाइनल खेला, लेकिन यहां उसे जर्मनी के हाथों अतिरिक्त समय में 0-1 से हार मिली।
कोच करो कमाल : पिछले साल मई में अर्जेंटीनी टीम का कोच के रूप में कार्यभार संभालने वाले 58 वर्षीय जॉर्ज साम्पोली को खिताब जीतने के लिए कुछ अलग रणनीति अपनानी होगी। उनके कोच रहते अर्जेंटीना ने 11 मैच खेलते हुए छह में जीत दर्ज की, जबकि दो हारे और तीन ड्रॉ खेले। हालांकि, इस दौरान अर्जेंटीनी टीम ने कम गोल खाए। अर्जेंटीना की टीम के खिलाफ 12 गोल हुए, जबकि उसने 21 गोल दागे। विश्व कप विजेता अर्जेंटीना की टीम के कोच 1978 के लुइस मेनोटी व 1986 में कार्लोस बिलरार्डो रहे। ऐसे में अब साम्पोली के पास भी विश्व कप विजेता कोच बनने का मौका है।
कमजोरी पर रणनीति : अर्जेंटीनी टीम का पिछले कुछ समय में डिफेंस काफी कमजोर रहा है जिसके कारण टीम मुख्य टूर्नामेंटों के फाइनल में हारी है। पिछला विश्व कप जीतने से चूकना, पिछले साल कंफेडरेशन कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाना और कोपा अमेरिका के 2015 और 2016 का फाइनल हारना टीम के लिए चिंता का सबब है। कोच साम्पोली टीम की इन हारों से सबक लेकर डिफेंस को मजबूत करने की भी कोशिश करेंगे।
शैली कुछ अलग : कोच साम्पोली ने इस विश्व कप के लिए खास रणनीति बनाते हुए टीम में अनुभवी खिलाडिय़ों को ज्यादा तवज्जो दी। 23 सदस्यीय टीम में 10 ऐसे खिलाड़ी हैं जो 30 या उससे अधिक उम्र के हैं। इटली के सीरी ए सत्र में संयुक्त रूप से शीर्ष गोल करने वाले खिलाड़ी मॉरो इकार्डी को बाहर किया, जबकि डिफेंडर क्रिस्टियन अंसालदी को शामिल करके सबको चौंका दिया। हालांकि, साम्पोली टीम को 2-2-3-3 और 3-3-1-3 की रणनीति से मैदान पर उतारते हैं, लेकिन इस बड़े टूर्नामेंट में मैदान पर विपक्षी टीम के हिसाब से रणनीति तैयार करेंगे।
टूर्नामेंट से पहले झटका : अर्जेंटीना को विश्व कप से पहले उस समय झटका लगा जब उसके मिडफील्डर मैनुएल लैंजिनि शुक्रवार को अभ्यास के दौरान चोटिल हो गए। 25 वर्षीय लैंजिनि के दायें घुटने में चोट लगी है जिसकी वजह से उन्हें विश्व कप से बाहर होना पड़ा।