नई दिल्ली: भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) के चुनाव की आंच शुक्रवार से ग्रेटर नोएडा में शुरू हो राष्ट्रीय महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप पर पड़ गई है। बीएफआई के अध्यक्ष अजय सिंह की ओर से महासचिव हेमंत कलिता और कोषाध्यक्ष दिग्विजय सिंह को निलंबित किए जाने के बाद असम ने इस चैंपियनशिप में टोक्यो ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज लवलीना समेत सभी मुक्केबाजों की भागीदारी रोक दी है।
अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि असम मुक्केबाजी से जुड़े होने के कारण हेमंत कलिता के कहने पर लवलीना को इस चैंपियनशिप में खेलने से रोका गया है। दावा यहां तक किया गया है कि हिमाचल प्रदेश के मुक्केबाज भी चैंपियनशिप में शिरकत नहीं करेंगे। अजय सिंह ने बुधवार को दावा किया कि कई मुक्केबाजों से रेल और हवाई यात्रा के टिकट रद्द कराए गए हैं, लेकिन वह इन मुक्केबाजों को खिलाने के लिए पूरा जोर लगा रहे है, चाहें इसके लिए उन्हें अपनी जेब से पैसा क्यों नहीं देना पड़े।
कलिता ने अजय सिंह के इन आरोपों को किया खारिज
वहीं, हेमंत कलिता ने अजय सिंह के इन आरोपों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि टूर्नामेंट को सिर्फ 15 दिन के नोटिस पर कराया जा रहा है। राज्य इसके लिए तैयार नहीं थे। इस बारे में राज्यों ने बीएफआई को लिखा है। यह सब उन्हें बदनाम करने के लिए हो रहा है। चैंपियनशिप के लिए अब तक 22 राज्यों ने एंट्री भेजी है। लवलीना ने पहले वीडियो जारी कर कहा था कि वह राष्ट्रीय चैंपियनशिप में उतरने जा रही हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्यों के भाग लेने के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करना ने दिल्ली एमेच्योर मुक्केबाजी संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि बीएफआई की ओर से 7 मार्च के परिपत्र के क्रियान्वयन पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है।
बता दें भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर को हाल ही में महासंघ की चुनाव प्रक्रिया के लिए अयोग्य घोषित किया गया था, क्योंकि उनका नामांकन 7 मार्च के परिपत्र का उल्लंघन करता था। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि चुनाव की प्रक्रिया परिणामों की घोषणा के साथ जारी रहनी चाहिए, लेकिन यह याचिका के परिणाम के अधीन होगी। न्यायालय ने नोटिस जारी कर केंद्र और महासंघ को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का समय दिया। बीएफआई के 7 मार्च के नोटिस में कहा गया है कि राज्य इकाइयों की वार्षिक आम बैठक के दौरान केवल विधिवत निर्वाचित सदस्यों ही अपने राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकृत हैं।