नई दिल्ली: तमिलनाडु की टीम शनिवार से रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल में 41 बार की चैंपियन मुंबई का सामना करने वाली है। तमिलनाडु की टीम पिछली बार 2014-15 सत्र में रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची थी। तब उसे कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था। तमिलनाडु के कप्तान साई किशोर की बदौलत टीम के पास एक बार फिर फाइनल में जाने का मौका है।
शांति के लिए मंदिर और जंगत जाते हैं किशोर
साइ के मुताबिक वह कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। कोई भी उनके अलग कदम का अंदाजा नहीं लगा सकता है। साइ किशोर बेहद आध्यात्मिक है। वह मन की शांति के लिए कभी मंदिर जाते हैं तो कभी जंगल की सैर पर निकल जाते हैं। इससे उन्हें क्रिकेट खेलने में भी मदद मिलती है। साइ नई-नई जगह जाते हैं और वहां ध्यान लगाते हैं। वह चेन्नई में रहते हैं और अकसर तिरुवन्नामालाई मंदिर जाते हैं जो कि वहां से चार घंटे की दूरी पर है। सिर्फ इतना ही नहीं वह मंदिर जाते हुए 14 किमी पैदल भी चलते हैं। मंदिर में फर्श पर सोते हैं। अपने हाथ को ही तकिया बनाते हैं। वह मंदिर की साफ सफाई करते हैं।
ड्रेसिंग रूम में भी बदला माहौल
साइ किशोर के टीम में ड्रेसिंग रूम में ही एक शांत माहौल दिखने लगा। टीम के नए कोच सुल्क्षण कुलकर्णी के आने के बाद टीम सैयद मुश्ताक अली ने स्टेज राउंड पर ही बाहर हो गई थी। इसके बाद विजय हजारे ट्रॉफी में के सेमीफाइनल में पहुंचे।
सीनियर खिलाड़ियों ने उठाई जिम्मेदारी
साइ किशोर के मुताबिक टीम उन्होंने इस साल कुछ अलग नहीं किया। पिछली बार उनकी टीम अनलकी थी और इस वजह से क्वार्टर फाइनल में नहीं पहुंच पाई। इस बार कई चीजें उनके पक्ष में रही। उनकी टीम कम अनुभवी थी। उनकी टीम में तीन बल्लेबाज और एक गेंदबाज ऐसा था जो कि इस साल डेब्यू कर रहे थे। टीम में कुछ नए खिलाड़ी जरूर थे लेकिन के सीनियर खिलाड़ियों की मदद से उन्होंने ऐसी रणनीति तैयार की जिससे उन्हें सफलता मिली। विजय शंकर,बाबा इंद्रजीत और एन जगदीशन ने दबाव खुद पर लिया और साइ किशोर ने संतुलित टीम बनाकर सेमीफाइनल तक का रास्ता तय किया।