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Sunday, November 24, 2024

दमोह का वो हॉकी सेंटर जहां से निकले 20 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

मध्यप्रदेश का दमोह शहर बहुत ही छोटा माना जाता है, लेकिन गीत, संगीत, बुंदेली नृत्य, शिक्षा और खेल सम्बंधी गतिविधियों की जब भी कभी बात आती है तो अपनी प्रतिभा को निखारते हुए दमोह शहर के खिलाड़ी मप्र के पटल पर अपनी अलग छाप छोड़ते हैं. यही वजह है कि आज दमोह की बेटी सुषमा पटेल भारतीय दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.

इसी क्रम में शहर में स्थित फ्रीडम हॉकी स्टिक सेंटर स्टेडियम में हॉकी प्रतिभाओं को निखारने का काम पिछले कई सालों से हो रहा है. सुबह 5 बजे से हॉकी स्टिक प्लेयर्स का आना शुरू हो जाता है. यह प्रशिक्षण 8 बजे तक दिया जाता है.

हॉकी खेलने के बुनियादी नियम

टीम में शामिल खिलाड़ी केवल अपनी स्टिक से सपाट सतह से ही गेंद को हिट कर सकते हैं. गोलकीपर के अलावा किसी भी हॉकी खिलाड़ियों को गेंद को नियंत्रित करने के लिए अपने पैरों या शरीर के किसी भी अन्य हिस्से का उपयोग करने की अनुमति नहीं होती है. आप प्रतिद्वंद्वी के गोल के सामने ‘स्ट्राइकिंग सर्कल’ के अंदर से ही गोल कर सकते हैं.

महिला हॉकी प्लेयर सृष्टि जैन ने बताया कि वह बीते 5 सालों से हॉकी का प्रशिक्षण ले रही हैं. यहां पर सभी खिलाड़ी एक फैमिली की तरह रहते हैं. प्रैक्टिस भी बहुत ही अच्छी होती है, जिसके चलते यहां प्रतिदिन 80 से 90 बच्चे प्रशिक्षण के लिए आते हैं. ऋतिका विश्वकर्मा ने बताया कि वह भी बीते 5 सालों से हॉकी का प्रशिक्षण ले रही है.

आपको बता दें कि 2017 में इस फ्रीडम सेंटर की शुरुआत हुई थी. जिसके बाद यहां लगातार ही खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाता है. सुबह 6 बजे से 8 बजे तक प्रशिक्षण दिया जाता है. शाम के समय 5 बजे 6 बजे तक 1 घण्टे के प्रशिक्षण के उपरांत खिलाड़ियों को घर के लिए रवानगी दे दी जाती है. यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर करीब 22 प्लेयर्स ऐसे हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखा चुके हैं.

हॉकी स्टिक टीम के कोच रियाजुद्दीन खान ने बताया कि वर्ष 2017 में खेल कल्याण विभाग द्वारा हॉकी फ्रीडम सेंटर योजना बनाकर इसकी शुरुआत की गई, जो निरंतर यहां चल रहा है. जब सेंटर की शुरुआत हुई तो दमोह के जेपीबी स्कूल में मौजूद चेट ग्राउंड पर बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाता था.उन्होंने कहा कि दमोह को वर्ष 2018 में चेट ग्राउंड की सौगात मिली जिससे बच्चों की खेल गतिविधियों में काफी सुधार हुआ. करीब 20 से ज्यादा बच्चों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेकर अवॉर्ड भी अपने नाम किया है. प्रयास यही रहता है कि यहां के बच्चे खेलकर भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व करें.

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