नई दिल्ली: इंडियन प्रीमियर लीग 2024 (IPL 2024)में लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) के लिए डेब्यू करने वाले मयंक यादव ने अपनी रफ्तार से पहले ही मैच में मुरीद बना लिया। पंजाब किंग्स (PBKS) के खिलाफ उन्होंने ऐसा कहर बरपाया कि मैच का रुख ही पलट गया। तेज गति और सटीकता मयंक यादव के आईपीएल डेब्यू में उनकी गेंदबाजी के असाधारण पहलू रहे। शिखर धवन के अंडर में मयंक को दिल्ली के लिए लिस्ट ए डेब्यू का मौका मिला था। धवन को भी उन्हें खेलने में कठिनाई हुई।
मयंक काफी तेजी से आगे बढ़े हैं। उन्होंने दिल्ली के लिए कभी भी अंडर-14 और अंडर-16 क्रिकेट नहीं खेला, लेकिन दिवंगत तारक सिन्हा ने उनकी प्रतिभा देखी और उन्हें राजधानी एक्सप्रेस बनने में मदद की। तारक सिन्हा ने भारतीय क्रिकेट को ऋषभ पंत जैसा खिलाड़ी दिया है। सोनेट क्लब चलाने वाले दवेंद्र शर्मा ने कहा, “उस्ताद जी (तारक सिन्हा) किसी को एक नजर देख लेते थे बस वो ही काफी था। जो ऋषभ के साथ हुआ वही मयंक के साथ हुआ।” देवेंद्र ने बताया कि कैसे 2020 में दिल्ली के लिए अंडर-19 ट्रायल से पहले मंयक से तारक सिन्हा से नाराज थे, क्योंकि उन्होंने सर्विसेज से खेलने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।
मयंक ने सर्विसेज का ऑफर ठुकरा दिया
देवेंद्र ने कहा, ” वह दिल्ली की टीम में जगह नहीं बना पाए थे। सर्विसेज उन्हें नौकरी दे रही थी और वादा किया था कि उन्हें तीनों प्रारूप खेलने का मौका मिलेगा, लेकिन मयंक ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया।” मयंक ने दिग्गज कोच से वादा किया कि वह दिल्ली की टीम में जगह बनाएंगे। दुर्भाग्य से, सिन्हा की नवंबर 2021 में कोविड की दूसरी लहर में मृत्यु हो गई।
मयंक के डेब्यू से एक महीना पहले तारक सिन्हा की हो गई मृत्यु
एक महीने बाद मयंक ने चंडीगढ़ के सेक्टर 16 स्टेडियम में विजय हजारे ट्रॉफी में दिल्ली के लिए डेब्यू किया। आखिरी दो ओवरों में 12 रनों की जरूरत थी, लेकिन मयंक ने 49वें ओवर में मेडन ओवर फेंककर मैच अपने नाम कर लिया। मयंक ने बताया, ” जब सर्विस वालों ने मुझे बताया कि मेरा चयन हो गया है तो मैं भाग गया। मैं अपना 50 प्रतिशत भी नहीं दे रहा था, लेकिन मैंने तीन या चार बाउंसर फेंकी, जिससे वे प्रभावित हुए। लेकिन मैं दिल्ली के लिए खेलना चाहता था। सर मैं दिल्ली का लड़का हूं और यहीं से खेलना था। तारक सर काफी गुस्सा थे।”
जब ताक सिन्हा ने मयंक की फीस भरी
मयंक के पिता प्रभु यादव अपने बेटे के करियर में तारक सिन्हा की भूमिका के बारे में बात करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा, ” भगवान हैं तारक सर। एक साल मेरा बिजनेस अच्छा नहीं चल रहा था। गर्मियों की छुट्टियों में सोनेट एक कैंप आयोजित करती थी और फीस थी 65,000 रुपये थी। मैंने देवेंदर जी से अनुरोध किया था कि मैं इसका भुगतान बाद में करूंगा और उन्होंने उस्ताद जी को इसके बारे में सूचित किया था। मेरे पास 20,000 रुपये थे और जैसे ही मैंने अपना बटुआ खोला, सिन्हा साब आए और मुझसे छीन कर फेंक दिया और कहा इस साल की फीस मेरी तरफ से। मैं उनकी बातें कभी नहीं भूलूंगा।”