भोपाल। मध्यप्रदेश पुरूष एवं महिला हाॅकी अकादमी तथा हाॅकी फीडर सेन्टर के खिलाड़ी इन दिनों राजधानी स्थित मेजर ध्यानचंद हाॅकी खेल परिसर में ओलंपियन एडरिन डिसूजा से अच्छा गोलकीपर बनने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। इनमें 20 बालक और 12 बालिका सहित कुल 32 खिलाड़ी शामिल हैं ।
संचालक खेल और युवा कल्याण डाॅ.एस.एल. थाउसेन ने बताया कि हाॅकी खिलाड़ियों को गोलकीपर का उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें राष्ट्रीय एवं अन्र्तराष्ट्रीय हाॅकी प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह ट्रेनिंग दी जा रही है। एक सप्ताह की ट्रेनिंग के दौरान खिलाड़ियों को एडरिन डिसूजा ने गोलकीपिंग की बारीकियां सिखाई और उन्हें अच्छे गोलकीपर बनने की तकनीकी जानकारी से रूबरू कराया। वर्ष 2004 एथेंन में हुए ओलंपिक गेम्स में भारतीय टीम के गोलकीपर रहे .
वर्ष 2006 के एशियन गेम्स और वर्ष 2007 के एशिया कप में स्वर्ण पदक और वर्ष 2008 में सुल्तान अजलान शाह कप के रजत पदक विजेता भारतीय हाॅकी टीम के खिलाड़ी एडरिन डिसूजा ने बताया कि मध्यप्रदेश महिला हाॅकी अकादमी की खिलाड़ियों का बेसिक स्ट्रांग होने और पुरूष हाॅकी अकादमी के खिलाड़ियों की हाईट बेसिक स्ट्रांग है जिससे उन्हें अगली ट्रेनिंग देने में आसानी होगी।
मध्यप्रदेश हाॅकी अकादमी के मुख्य प्रशिक्षक तुषार खंडकर ने बताया कि हमारे खिलाड़ियों को इस ट्रेनिंग के माध्यम से बहुत कुछ सीखने को मिला है। खिलाड़ियों की खेल प्रतिभा निखारने में यह प्रशिक्षण काफी लाभदायक साबित होगी।
खिलाड़ियों के अनुभव
हाॅकी अकादमी ग्वालियर की खिलाड़ी बिछु देवी ने बताया कि मुझे इस प्रशिक्षण से गोलकीपिंग की बारीकियां सीखने का अवसर मिला। ग्वालियर की ही सोनिया कुशवाह ने बताया कि इस ट्रेनिंग के माध्यम से मुझे अपनी बेसिक कमियों के बारे में जानने और उन्हें दूर करने का अवसर मिला। हाॅकी अकादमी भोपाल के खिलाड़ी वैभव खुशलानी, पुलकित पाटीदार, धनराज सिंह, तुषार सिंह, सुनील यादव, साईं भोपाल के खिलाड़ी इस्लाम ईम्तयाज, डे-बोर्डिंग खिलाड़ी अमान खान आदि ने भी इस ट्रेनिंग को उपयोगी बताया और गोलकीपर विधा को निखारने में काफी मददगार बताते हुए प्रशिक्षण की सराहना की।
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एडरिन डिसूजा ने खिलाड़ियों को निम्नानुसार टिप्स दिए:-
अच्छा गोलकीपर बनने के लिए बेसिक जानकारी पता होना चाहिए।
माइंड के साथ फोकस जरूरी।
रनिंग और कीकिंग के दौरान किट में कम्र्फटेबल महसूस करें।
ट्रेनिंग और मैच के दौरान एक समान एकाग्रता।
गोलकीपर को पेनाल्टी कार्नर, पेनाल्टी स्ट्रोक से बचाव के तरीके और अटैक के दौरान गोलकीपर के मूवमेंट की जानकारी होना जरूरी।
कूलिंग डाउन सहित तीन तरह की ट्रेनिंग का वर्ष भर अभ्यास आवश्यक।