नई दिल्ली: क्रिकेट में बादल, हवा से लेकर नमी तक की भूमिका अहम होती है। इसकी वजह है गेंद, जिसकी चाल-ढाल इनपर निर्भर है। बादल और हवा से तेज गेंदबाजों को स्विंग कराने में मदद मिलती है। पिच पर नमी होने से भी तेज गेंदबाजों को मदद मिलती। धूप होने और पिच सूख जाने पर बल्लेबाज हावी हो जाते हैं। पिच क्रैक होने से गेंद टर्न होती है। इतना ही नहीं नई गेंद से इन स्विंग और आउट स्विंग होती है तो पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग होती है। इन सब बातों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भद्र जनों की खेल में गेंद की भूमिका अहम होती है। ऐसे में आज हम क्रिकेट की गेंद के वजन, आकार, साइज के बारे में जानेंगे। साथ में यह भी जानेंगे कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के लिए नियम बनाने वाली मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने गेंद को लेकर क्या मानक तक किए हैं।
कैसे बनती है गेंद
इंटरनेशनल क्रिकेट में लाल, सफेद और गुलाबी गेंद का इस्तेमाल होता है। कोई भी गेंद हो इसे बनाने के लिए कॉर्क का इस्तेमाल होता है, जो वजन और उछाल के लिए महत्वपूर्ण है। इसे एक चमड़े के केस के अंदर रखा जाता है। इस केस की सीम को धागे से सिल करके पैक कर दिया जाता। इंटरनेशनल क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली गेंद चमड़े के चार टुकड़ों से बनती है। ये चमड़े के टुकड़े मोटे और नारंगी के आकार से होते हैं।
गेंद की सीम बनाने के लिए 6 लेयर धागे टांके जाते हैं। साइड से चमड़े के टुकड़ों को एक साथ जोड़ने के लिए अंदर से टांके लगाए जाते हैं। फिर उन्हें मोम की एक परत से ढक दिया जाता है और पॉलिश किया जाता है। इसे उसे चमक मिलती है, जिसका उपयोग गेंदबाज खेल की शुरुआत में स्विंग डिलीवरी करने के लिए करते हैं। जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ता है, यह चमकदार परत खत्म हो जाती है और बल्लेबाजों के लिए बल्लेबाजी करना आसान हो जाता है।
वजन और साइज
नई गेंद का वजन 5.5 औंस/155.9 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए। 5.75 औंस/163 ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। उसकी परिधि (Circumference) 8.81 इंच/22.4 सेमी से कम नहीं होनी चाहिए। 9 इंच/22.9 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
किसके पास होता है कंट्रोल?
मैच में उपयोग की जाने वाली गेंदों को अप्रूवल अंपायर देते हैं। टॉस से पहले गेंद अंपायरों के कब्जे में होती है। पूरे मैच के दौरान उनके कंट्रोल में रहती है। विकेट गिरने पर या किसी भी ब्रेक के दौरान अंपायर के पास गेंद रहती है।
नई गेंद
जब तक मैच से पहले इसे लेकर कोई समझौता नहीं हो जाता, कोई भी कप्तान प्रत्येक पारी की शुरुआत में नई गेंद की मांग कर सकता है। टेस्ट क्रिकेट में फील्डिंग साइड का कप्तान 80 ओवर के बाद नई गेंद की मांग कर सकता है। नई गेंद के बारे में अंपायर दूसरे अंपायर को सूचित करता है और बल्लेबाजों और स्कोरर को संकेत देता है।
गेंद खो जाने या बदलने को लेकर नियम
यदि खेल के दौरान गेंद भूल जाती है या अंपायर इस बात पर सहमत होते हैं कि गेंद खेलने योग्य नहीं है तो अंपायर गेंद बदलते हैं। वह गेंद जितनी पुरानी होती है उतनी पुरानी गेंद ही इस्तेमाल की जाती है। गेंद बदलने के बारे में अंपायर बल्लेबाजों और क्षेत्ररक्षण कप्तान को सूचित करता है।
महिला क्रिकेट में गेंद
वजन: 4.94 औंस/140 ग्राम से 5.31 औंस/151 ग्राम तक
परिधि (Circumference): 8.25 इंच/21.0 सेमी से 8.88 इंच/22.5 सेमी तक।
जूनियर क्रिकेट- अंडर 13
वजन: 4.69 औंस/133 ग्राम से 5.06 औंस/144 ग्राम तक
परिधि (Circumference): 8.06 इंच/20.5 सेमी से 8.69 इंच/22.0 सेमी तक।