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Sunday, May 19, 2024

Chess: इतिहास रचने वाले कास्पारोव ने कब-क्यों बदला नाम

नई दिल्ली: ‘इस तारीख को जन्मे चैंपियन’ की हमारी शृंखला में मुझे पूर्व विश्व शतरंज चैंपियन गैरी कास्पारोव के बारे में बताते हुए खुशी हो रही हैं। उनका जन्म 13 अप्रैल, 1963 को बाकू (अजरबेजान, सोवियत संघ) में हुआ था। उनका जीवन उतार-चढ़ाव वाला रहा। कास्पारोव 7 साल की उम्र में यंग पायनियर पैलेस, बाकू में शामिल हुए और बेहतर शतरंज खेलना सीख गए। वह शतरंज में अपने कौशल के लिए इतने प्रसिद्ध हो गए कि उन्हें 10 साल की उम्र में प्रतिष्ठित बोट्वनिक शतरंज स्कूल में शामिल होने के लिए चुना गया। (हालांकि, वह 1990 तक बाकू के स्थायी निवासी बने रहे)।

13 वर्ष की उम्र में कास्पारोव ने प्रसिद्ध ‘माई सिक्सटी मेमोरेबल गेम्स ऑफ चेस’ (बॉबी फिशर द्वारा लिखित) का अध्ययन किया। 12 वर्ष की उम्र में गरिक वाइंस्टीन ने अपना नाम बदलकर गैरी कास्पारोव रख लिया। वर्ष 1980 में, कास्पारोव ने 13 गेमों में 10.5 अंकों के स्कोर के साथ विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप जीती। यह उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के निगेल शॉर्ट से 1.5 अंक अधिक थे। अगले पांच साल में वह सबसे कम उम्र के विश्व शतरंज चैंपियन बन गए थे जो यह रिकॉर्ड अभी भी कायम है।

वर्ष 1990 में, कास्पारोव स्थायी रूप से मॉस्को चले गए और खुद को रूसी करार दिया। कास्पारोव दो दशक (1984 से 2005) तक से भी ज्यादा समय तक कड़े प्रतिद्वंद्वी रहे थे बल्कि सबसे अधिक रेटिंग वाले शतरंज खिलाड़ी होने का रिकॉर्ड भी कायम रखा। 1990 मेंं कास्पारोव 2805 अंकों की ईएलओ रेटिंग तक पहुंच गए और बॉबी फिशर का 2785 अंक का रिकॉर्ड तोड़ दिया (वर्ष 1972) 1993 में कास्पारोव के विश्व शतरंज महासंघ फिडे के साथ मतभेद हो गए और प्रोफेशनल शतरंज एसोसिएशन बनाने का फैसला किया जो कुछ शीर्ष शतरंज खिलाड़ियों द्वारा संचालित एक निजी संस्था थी। कास्पारोव को ब्रिंगेम्स विश्व चैंपियनशिप मैच में अपने ही शिष्य व्लादिमीर क्रैमनिक के हाथों अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था।

शतरंज से सेवानिवृत्ति के बाद कास्पारोव ने सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ बनने का फैसला किया। 15 वर्षों तक राजनीति में बहुत सक्रिय रहने के बावजूद वह इसमें बहुत सफल नहीं रहे। फिडे के साथ उनके मतभेद थे, लेकिन शतरंज के प्रचार और प्रसार के लिए उन्होंने 1994 में मॉस्को में शतरंज ओलंपियाड (ओपन और महिला) को सफलतापूर्वक आयोजित करने में रूसी शतरंज महासंघ और फिडे की मदद की थी। 1994 का ओलंपियाड एकमात्र ऐसा ओलंपियाड था जो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष जुआन एंटोनियो समारांच की मौजूदगी में हुआ था और यह केवल कास्पारोव के प्रयासों के कारण संभव हुआ था।

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