नई दिल्ली: बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) संकट में है। बोर्ड के अध्यक्ष फारूक अहमद को पद से हट गए हैं। नेशनल स्पोर्ट्स काउंसिल (NSC) ने गुरुवार (29 मई) को बीसीबी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के प्रतिनिधि के रूप में फारूक अहमद को पद से हटाने की घोषणा की। परिणामस्वरूप, अब वे बीसीबी के अध्यक्ष पद पर नहीं हैं। पिछले साल छात्र आंदोलन के बाद नजमुल हसन के निष्कासन के बाद जब उन्होंने कार्यभार संभाला था, तब उन्हें एनएससी ने काउंसलर चुना था।
औपचारिक अविश्वास पत्र सौंपकर बीसीबी तत्काल हटाने की मांग की थी। यह कदम सरकार द्वारा बीसीबी अध्यक्ष को यह सूचित किए जाने के तुरंत बाद उठाया गया कि वे उन्हें पद पर बनाए रखने में रुचि नहीं रखते हैं। इससे पहले खबर आई थी कि बीसीबी के 10 में से आठ डायरेक्टर्स ने खेल मंत्रालय को औपचारिक अविश्वास पत्र सौंपकर फारूक अहमद को तत्काल हटाने की मांग की है। सरकार पहले ही बीसीबी अध्यक्ष को यह सूचित कर चुकी है कि वह उन्हें आगे पद पर नहीं रखना चाहती।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, फारुक अपने रुख पर अड़े हुए थे और उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं हैं। जब यह बात सार्वजनिक रूप से सामने आई कि बोर्ड के 10 में से आठ डायरेक्टर्स ने उनके खिलाफ अविश्वास व्यक्त किया है, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि वे इस्तीफा देने के लिए तैयार नहीं हैं।
क्रिकबज के अनुसार खेल मंत्री को संबोधित पत्र में डायरेक्टर्स ने आरोप लगाया है कि फारुक ने लगातार बोर्ड के सदस्यों को दरकिनार किया है। प्रमुख प्रशासनिक और वित्तीय मामलों में बीसीबी संविधान का उल्लंघन किया है। इसके अलावा डायरेक्टर्स ने फारुक पर एक निरंकुश होने, नियमित रूप से संवैधानिक उल्लंघन, वित्तीय कुप्रबंधन और विवादास्पद व्यक्तियों से संबंध रखने का आरोप लगाया है।
डायरेक्टर्स ने यह भी आरोप लगाया कि फारुक ने एकतरफा रूप से महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इसमें हाल ही में मुख्य कोच चंदिका हथुरुसिंघा को बर्खास्त करना भी शामिल है। उनका दावा है कि यह कार्रवाई बीसीबी संविधान के खंड 14(बी) का उल्लंघ है, जो ऐसे निर्णयों के लिए बोर्ड की मंजूरी को अनिवार्य बनाता है। डायरेक्टर्स ने आगे आरोप लगाया है कि फारुक ने सामूहिक निर्णय लेने को दरकिनार करते हुए बोर्ड पर “नियंत्रण” बना लिया है। राष्ट्रीय टीम के मामलों और घरेलू क्रिकेट दोनों में भय, पक्षपात और अनुचित हस्तक्षेप का माहौल बना दिया है।
पत्र में वित्तीय कदाचार के बारे में भी गंभीर चिंता जताई गई है। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि बांग्लादेश प्रीमियर लीग (BPL) को पारदर्शी बोली प्रक्रिया के बिना एक साथी बोर्ड डायरेक्टर के स्वामित्व वाली कंपनी को सौंप दिया गया था। इसके खरीद में दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ और हितों के टकराव के मुद्दे को जन्म दिया।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों बोर्ड के कई प्रमुख निर्वाचित और नियमित निदेशक शामिल हैं। इनमें महबूबुल आलम, काजी इनाम अहमद, फहीम सिन्हा, सलाहुद्दीन चौधरी, इफ्तिखार रहमान, सैफुर आलम, स्वपन चौधरी और मंजूर आलम शामिल हैं। मौजूदा बोर्ड डायरेक्टर्स में से केवल अकरम खान ने फारूक के खिलाफ हस्ताक्षर नहीं किए।